मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

भारत को स्वच्छता बनावें

भारत को स्वच्छता बनावें। सुख शांति का फल पावे ।
घर पर ना गदंगी होवे। रास्ते पर पड़ा कचरा गदंगी ना फैलावें।
रोज तूम झाडू लगाना। रोज तुम तो गंदगी भगाना।
स्वच्छ भारत का नाम जपे कोई । उसे मिले गंदगी से छुटकारा।
रोज तुम्हारे पास गदंगी होवे । जहा राक्षस प्रजाति के मच्छर होवें।
मच्छर बड़ा चालू होवे। काटे तो डेंगू जैसी बीमारी होवें।
जो करे गंदगी साफ । उसको मच्छर से निश्चित मुक्ति होना।
घर पर कचरे को डस्टबीन में डालो । घर स्वच्छ बना तुम डालो।
हर कदम घर स्वच्छ होवे । सुख समद्धि ओर सपत्ति अपार होवंे।
रोज तुम सवेरे उठना । आप सदा पहले घर साफ होना।
आप सदा पहले शरीर स्वच्छ होना । मन में ईश्वर का होना।
जो स्वच्छता फैलाये। उसका जीवन सुखमय होना।

              मेरे द्वारा यह रचना स्वरचित है।
                नाम अक्षय आजाद भण्डारी राजगढ़
                       जिला धार मध्यप्रदेश 


                        मों.9893711820

जनता बोल रही है


जनता बोल रही है
नेता तो बस कह जाते है,
वादो से वो मुकर जाते है।

जनता तो सिर्फ बोलती है
काम तो चुनाव आते ही सिर्फ अन्त
में दिखा जाते है।

विश्वास करे कौन से नेता पर
जो भरते खुद का घर
भाषण में चर-चर कर जाते है।

चुनाव से पहले घर-घर नेता पहुॅचे जाते है
सभा करते चैराहे के नुक्कड़ पर और
वो अपने घर भाग जाते है।

चुनाव में पार्टी एक-दूसरे पर आरोप लगाती है
भ्रष्टाचार इस पार्टी ने किया ज्यादा है ,
हम भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाएगे
बस एक आपका अमूल्य वोट दे दिजिए।

फिर क्यों भ्रष्टाचार के लिए महापुरुषो व अन्ना को
लड़ाई और अनशन करना पड़ा
क्या अब नेता शिष्टाचार का पाठ पढ़ाएगें।

क्या जनता मुर्ख है कितनी बार नेता के चक्कर लगाएगे,
अब तो आरटीआई आ गया है,
अब तो सबकी पोल खुलवाएगें,ये जनता बोल रही है।

मंजिल को पाना है


 मंजिल को पाना है तो
 आज को संवारना सीखों।
 कल कि उलझन से बचने के लिए
 आज ही उसे मिटाना सीखों
 राह देखी अगर शौहरत पाने के लिए
 आज से ही अच्छा व्यव्हार जमाना सीखों।

कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये है

कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये है
के रिति रिवाज क्या थे
आज हम उसे सरल बना बैठै है
कल  का भारत कैसा था
आज उसे बदल बैैठै है
आज देश पर राजनिति समझौते पर मत किया करे
समझौतो से नहीे देश चलाना है
जो आखें दिखायें गद्दार उसे सबक सीखाना है
कल वीरों ने संघर्षो से भारत बसाया है
आज ऐसा क्या हो गया
जो लड़ कर अमर हो गये
उनको हम सही नमन करना भूल गये
कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये ।

इस राह संघर्ष लड़ रहा हूं मैं---


राहे देख रहा हूँ
सामने एक हर पल संघर्ष देख रहा हूँ।

इंसाफ की राहे देखी
मगर अपने वाले कौन है
यह पता लगा रहा हूँ।
समय-समय पर देखा
कही अपने ही बदल ना जाते है।

अपनों को कुछ दे दूँ।
ये ख्याल आता है।
पर व्यवहार बाजार जो बनाया है
मैनें उसे कोई बिगाड़ ना दे
जो बिगाड़ें उसे मेरे परिवार से
हटाने कि सोच रहा हूँ मैं

अब मौका देख रहा हूँ शायद
कोई रास्ता निकल जाए
इस राह संघर्ष लड़ रहा हूं मैं।

मिलावट खोरो को भगाना होगा

कभी तो मिलावट खोरो के लिये

किसको जागना होगा

घर बैठेने से अच्छा है

आज ही दो कदम बढ़ाना होगा

सेहत अगर हमे प्यारी है तो

अच्छा खाने-पीने के लिये

आज जानना होगा,

सीख जाएगे तो हमे

दिनचर्या में भी लाना होगा

जिन्हे सेहत की फिक्र है उसे

मिलावट खोरो को भगाना होगा।


मेरी रचना मौलिक व अप्रकाशित है।

नाम अक्षय आजाद भण्डारी राजगढ़

तहसील सरदारपुर जिला धार मध्यप्रदेश

मों. 9893711820

कब जायेगा व्यापमं का असल अपराधी जेल में..???

मध्यप्रदेश में कैसी गढ़ी व्यापमं की माया है,...देखो लोगो के होठों पर बस यही गीत आया है..!!असल कौन है, इसके षडयंत्र कारी कौन है,...व्यापम पर राजनिति चल रही कि भारी कौन है..??बस यू ही कब तक चलेगा यह खेल खेल में,...सच क्या है, कब जायेगा व्यापमं का असल अपराधी जेल में..???

             


                           मेरे द्वारा स्वरचित रचना       

                  युवा पत्रकार अक्षय आजाद भण्डारी                  

 ’’मन की आवाज’’     राजगढ जिला धार मध्यप्रदेश 9893711820